मैं हूँ|
तुम्हारी गुदगुदी वाली हसी सुनना चाहती हूँ... तुम्हारे भोलेपनको हाथो में सिमटना चाहती हूँ... तुम्हारे बचपनके हर पलकों मैं भी जीना चाहती हूँ... मैं ठीक हूँ...! नई उम्मीदोंको जगाना चाहती हूँ... नए रास्ते खोजना चाहती हूँ... नए मंजिलोंपर पोहोचना चाहती हूँ... मैं खुश हूँ...! नई चीज़ोको आजमाना चाहती हूँ... परदेसकी गलियोंमें देश ढूंढ़ना चाहती हूँ... दोस्तों के मेलेमें खोना चाहती हूँ... मैं ज़िंदा हूँ...! मैं तुमसे दूर हूँ... मैं सीख रही हूँ... मैं काबिल हूँ... मैं माँ, पत्नी, बेटी, दोस्त हूँ...| मैं हूँ|